हिन्दी भाषा का उद्भव एवम् विकास

भारतीय जनमानस द्वारा प्रयुक्त  संस्कृत भाषा विश्व में सर्वप्रथम लिखितभाषा के रूप में प्राप्त होती है | आदिकवि बाल्मीकि,महाकवि कालिदास,महर्षि वेदव्यास,अश्वघोष ,भरतमुनि,पतंजलि,आदि ने अपना लेखन का माध्यम संस्कृत भाषा को ही चुना |

संस्कृत भाषा का काल मोटे रूप में ईसा पूर्व 1500 से लेकर 500 ईसा पूर्व तक रहा ।
उसके बाद 500 ईसा पूर्व से लेकर प्रथम सदी तक पालि भाषा प्रचलन में रही ।
तत्पश्चात ईसा की पहली सदी के बाद से लेकर 500 ईस्वी तक प्राकृत भारतीय जनमानस की भाषा रही ।
उसके बाद हिंदी के जन्म से पूर्व का अपभ्रंश काल 500 ईस्वी बाद से लेकर 1000 ईस्वी तक रहा ।

हिंदी का नामकरण

हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत के 'सिन्धु' शब्द से है | सिन्धु सिंध नदी को कहते थे , और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे, किन्तु ईरानी में 'स' का उच्चारण 'ह' करते हैं,इसलिए सिन्धु का हिन्दु फिर हिन्द बन गया, और उस क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा हिन्दुई या हिंदी बन गई ।

हिंदी भाषा का विकास-क्रम या काल-विभाजन 

यूँ तो अन्य भाषाओं की भांति हिंदी भाषा का भी काल-विभाजन निर्विवाद नहीं है। विभिन्न विद्वानों के अलग-अलग मत रहे हैं ,किन्तु सर्वाधिक सहमति प्राप्त एवं प्रचलित मत निम्न प्रकार है-
1 आदिकाल ( वीरगाथा काल )    1000 ईस्वी से 1400 ईस्वी तक 
2 भक्ति काल ( पूर्व मध्यकाल )   1400   ईस्वी से 1700 ईस्वी तक
3  रीति काल  ( उत्तर मध्य काल ) 1700   ईस्वी से 1900 ईस्वी तक 
4 आधुनिक काल ( गद्य काल ) 1900 ईस्वी से आज तक .............

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