वाक्य
शब्दों का वह सार्थक समूह जिसके द्वारा किसी विचार अथवा भाव की पूर्ण अभिव्यक्ति हो, वाक्य कहलाता है |
जैसे- मोहन वीणा बजा रहा है |
वाक्य के गुण
वाक्य में निम्न गुण होने चाहिए-
इन वाक्यों में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय है, अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं |
2. संयुक्त वाक्य- जहाँ दो या दो से अधिक उपवाक्य किसी योजक अव्यय शब्द के माध्यम से जुड़े होते हैं |
3. मिश्र वाक्य- जिन वाक्यों की रचना एक से अधिक ऐसे उपवाक्यों द्वारा हुई हो, जिनमें एक वाक्य प्रधान तथा दूसरा वाक्य गौण हों |
- सार्थकता- वाक्य के सभी शब्द सार्थक होने चाहिए |
- योग्यता-सार्थक के साथ-साथ प्रसंग के अनुसार अर्थ देने की क्षमता भी हो |
- आकांक्षा-वाक्य की ये आकांक्षा होती है,कि उसमें किसी ऐसे शब्द की कमी न हो जिसके बिना अर्थग्रहण में व्यवधान आये |
- आसक्ति-वाक्य के शब्दों को बोलने और लिखने में निरन्तरता हो |
- पदक्रम-वाक्य के शब्द उचित क्रम में हों |
- अन्वय-वाक्य के कर्ता, क्रिया और कर्म में मेल होना चाहिए |
वाक्य के अंग
वाक्य के प्रमुख दो अंग हैं-
(क) उद्देश्य- जिसके विषय में वाक्य में कुछ कहा जाता है - कर्ता
(ख) विधेय- उद्देश्य (कर्ता) के विषय में वाक्य में जो कहा जाता है |
वाक्य के भेद
वाक्य का विभाजन हम दो आधार पर कर सकते है -
- अर्थ के आधार पर
- रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद निम्न प्रकार हैं-
1. विधानवाचक वाक्य- जिस वाक्य में किसी कार्य,बातअथवा घटना का होना पाया जाये वह विधान वाचक वाक्य होता है |
जैसे- सूर्य पूर्व में उदय होता है |
जैसे- सूर्य पूर्व में उदय होता है |
2. निषेध वाचक वाक्य-जिन वाक्यों में किसी कार्य के निषेध (न होने ) का बोध होता है |वे निषेध वाचक वाक्य होते हैं |
जैसे-मुझे तुम से कुछ नही चाहिए |
जैसे-मुझे तुम से कुछ नही चाहिए |
3. प्रश्नवाचक वाक्य-जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाये अर्थात किसी से कोई बात पूछी जाये उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं |
जैसे-तुम कौनसी कक्षा में पढ़ते हो ?
जैसे-तुम कौनसी कक्षा में पढ़ते हो ?
4. विस्मयादिवाचक वाक्य-जिन वाक्यों से आश्चर्य,हर्ष, शोक,घृणा आदि के भाव व्यक्त हों |
जैसे-अहा! कितना सुन्दर बगीचा है |
5. आज्ञावाचक वाक्य- जिन वाक्यों से आज्ञा या अनुमति लेने-देने का बोध हो,उन्हें आज्ञा वाचक वाक्य कहते हैं |
जैसे-आप चुप रहिए |
6. इच्छावाचक वाक्य-वक्ता की इच्छा, आशा या आशीर्वाद को व्यक्त करने वाले वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं |
जैसे-नववर्ष मंगलमय हो |
7. संदेहवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में कार्य के होने में सन्देह या सम्भावना हो.उन्हें सन्देह वाचक वाक्य कहते हैं |
जैसे-शायद मैं आज बाहर चला जाऊं |
8. संकेतवाचक वाक्य-जिस वाक्य से संकेत या शर्त का बोध हो |वह संकेतवाचक वाक्य होता है |
जैसे- परिश्रम करोगे तो अच्छा फल मिलेगा
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं-
- सरल वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्र वाक्य
1. सरल वाक्य- जिस वाक्य में केवल एक ही उद्देश्य (कर्ता) और एक ही विधेय (कार्य) हो, वहाँ सरल वाक्य होता है | जैसे-राधिका गाँव जाती है |
बरसात हो रही है |
आकांक्षा पढने गई है |
इन वाक्यों में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय है, अतः ये साधारण या सरल वाक्य हैं |
2. संयुक्त वाक्य- जहाँ दो या दो से अधिक उपवाक्य किसी योजक अव्यय शब्द के माध्यम से जुड़े होते हैं |
जैसे- हमने सुबह से शाम तक बाजार की खाक छानी, किन्तु काम नही बना |
मैं नित्य स्नान और व्यायाम करता हूँ |
समय बहुत ख़राब है इसलिए हमें देखकर चलना चाहिए |
उक्त वाक्यों में किन्तु, और, इसलिए आदि अव्यय शब्दों द्वारा दो वाक्यों को जोड़ा गया है | अतः ये संयुक्त वाक्य कहलाते हैं |
3. मिश्र वाक्य- जिन वाक्यों की रचना एक से अधिक ऐसे उपवाक्यों द्वारा हुई हो, जिनमें एक वाक्य प्रधान तथा दूसरा वाक्य गौण हों |
जैसे- इमरान, जो लक्ष्मीनगर में रहता है, मेरा मित्र है ।
काले धब्बे वाला चिंकारा हिरण,जो कि राजस्थान का राज्य पशु है ।
यह वही भारत देश है,जिसे पहले सोने की चिड़िया कहा जाता था ।
उक्त वाक्यों में टेढ़े वर्ण लिखे वाक्य गौण वाक्य हैं ।
उक्त वाक्यों में टेढ़े वर्ण लिखे वाक्य गौण वाक्य हैं ।
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