सूफी काव्य (SUFI KAVY)

हिन्दी सूफी काव्य

मिश्र में पवित्र सफेद ऊन को 'सूफ' कहते हैं । सूफी संत इसी से बने कपडे पहनते हैं । इसलिए सूफी शब्द इनके लिए प्रयोग किया जाने लगा । ये पवित्रता का उपदेश देते थे, तथा निराकार ईश्वर के उपासक थे ।

सूफी शाखा 

भारत में सूफी मत का आगमन 12वीं सदी से माना जाता है । यह इस्लाम धर्म की ही एक शाखा है । लेकिन इस धर्म में कट्टरता और असहिष्णुता नही मिलती है ।
आचार्य शुक्ल जी ने सूफी साधना के निम्न चार पड़ाव माने हैं -
1. शरीयत-धर्म ग्रंथों के अनुसार ईश्वर की भक्ति करना ( धर्मग्रंथों को मानना) शरीयत कहलाता है ।
2. तरीकत- साधक ह्रदय की शुद्धता पर जोर देता है, और माया, मोह से छुटकारा पाना चाहता है ।
3.हकीकत- साधक कुछ सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है, और उसे वर्तमान, भूत और भविष्य की जानकारी होने लगती है ।
4. मारफत- इस अंतिम अवस्था में आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है । इसको अद्वैतावस्था कहते हैं ।
सूफी साहित्य में ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रेम को आधार बनाया गया है ।
इस प्रेम के दो रूप होते हैं |
1.लौकिक प्रेम (इश्क मजाजी) 2. अलौकिक प्रेम (इश्क हकीकी)

सूफी काव्यधारा के कवि और उनकी कविता 

1. मुल्ला दाउद
सूफी काव्य-धारा का प्रथम कवि 'मुल्ला दाउद' को माना जाता है । इनकी रचना का नाम "चंदायन" जो कि  1379 ई. मानी जाती है ।
2. मलिक मोहम्मद जायसी
इनकी प्रमुख तीन रचनाएँ मानी जाती हैं-
 आखिरी कलाम, अखरावट, पद्मावत
3.असाइत कवि   -  हंसावली
4. दामोदर कवि  -  पद्मावती कथा
5. ईश्वरदास        - सत्यवती कथा
6. कुतुबन          -  मृगावती
7.मंझन             - मधुमालती
8.कल्लोल         -ढोला-मारू रा दूहा
9. नन्ददास       -रूप मंजरी
10.पुहकर कवि- रस रत्न

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