कोशिश कर हल निकलेगा

  कविता-3

कोशिश कर हल निकलेगा,
            आज नहीं तो कल निकलेगा |
  अर्जुन के तीर सा साध,
             मरुस्थल से भी जल निकलेगा |
  तू मेहनत कर, पौधों को पानी दे,
            बंजर जमीन से भी फल निकलेगा |
 तकाद जुटा, हिम्मत को आग दे,
                फौलाद का भी बल निकलेगा |
  जिंदा रख तू दिल में उम्मीदों को,
    गरल के सागर से भी गंगाजल निकलेगा |
 कोशिश जारी रख, कुछ कर गुजरने की,
   जो है आज थमा-थमा सा वो भी चल निकलेगा |

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काव्य-गुण