भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह
माने जाते हैं।इनका वास्तविक नाम हरिश्चन्द्र था। भारतेन्दु इनकी उपाधि थी।
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितम्बर 1850 ईस्वी में वाराणसी के वैश्य परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम 'गोपाल चन्द्र' था। हरिश्चन्द्र इतिहास प्रसिद्ध सेठ अमीचंद की वंश परम्परा में पैदा हुये।
इनके पिता भी एक जाने-माने कवि थे जिन्होंने 40 ग्रंथों की रचना की। ये जब 5 वर्ष के थे तभी इनकी माता 'पार्वतीदेवी' का निधन हो गया।
इनके द्वारा रचित कुल 68 रचनायें उपलब्ध हैं। श्रेष्ठ काव्य सृजन के कारण 1880 ईस्वी में इन्हें 'भारतेन्दु' की उपाधि प्रदान की
गई।
कवि होने के साथ-साथ भारतेन्दु पत्रकार भी थे। उनके द्वारा प्रसिद्ध 'कविवचन सुधा' और 'हरिश्चंद्र
चन्द्रिका' नामक पत्रिकाएं
प्रकाशित की जाती थी।
प्रमुख रचनायें
भारतेन्दु हरिश्चंद्र के काव्य की विषय-वस्तु को हम
निम्नानुसार विभाजित कर सकते हैं-
नाटक-
हरिश्चन्द्र जी ने 'वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति','सत्य-हरिश्चंद्र', 'भारत दुर्दशा', अंधेर नगरी, श्री चन्द्रावली, नीलदेवी, प्रेम जोगिनी, सती प्रताप आदि प्रसिद्ध नाटकों की रचना की।
उपरोक्त के साथ उन्होंने विद्यासुंदर,पाखण्ड विडंबन, धनञ्जय विजय, कर्पूर मंजरी, भारत जननी, मुद्राराक्षस, दुर्लभ बन्धु, आदि नाटकों का अन्य भाषाओँ से हिन्दी में अनुवाद किया।
निबन्ध-संग्रह-
हरिश्चन्द्र जी के
प्रमुख निबन्ध: नाटक,कालचक्र,लेवी प्राण लेवी,भारतवर्षोंन्नति कैसे हो सकती है?, कश्मीर कुसुम,जातीय संगीत,संगीत सार,हिन्दी भाषा,स्वर्ग में विचार
सभा आदि हैं।
काव्य रचनायें-
भारतेन्दु जी की
काव्य रचना-भक्त सर्वस्व,प्रेम मालिका,प्रेम माधुरी,प्रेम तरंग,उत्तरार्द्ध
भक्तमाल,प्रेम-प्रलाप,होली,मधु-मुकुल,राग-संग्रह,वर्षा विनोद,विनय प्रेम पचासा,फूलों का गुच्छा,प्रेम फुलवारी,कृष्णचरित्र,दानलीला,तन्मय लीला,नये जमाने की मुकरी,सुमनांजलि,बन्दरसभा,बकरी विलाप आदि प्रमुख हैं।
कहानी
अद्भुत अपूर्व स्वप्न
यात्रा वृतान्त
सरयूपार की यात्रा
लखनऊ
आत्मकथा
एक कहानी-कुछ आप बीती कुछ जगबीती
उपन्यास
पूर्णप्रकाश
चन्द्रप्रभा
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Good post
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