हिन्दी भाषा साहित्य का इतिहास
हिन्दी भाषा के साहित्य का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है | यद्यपि हिन्दी का इतिहास संस्कृत भाषा जितना पुरातन एवम् समृद्ध तो नहीं, किन्तु संसार की अधिसंख्यक भाषाओं से श्रेष्ठ व प्राचीन है |नामकरण
यूँ तो हिन्दी साहित्य के इतिहास का नामकरण कई लेखकों द्वारा किया गया और उन्होंने इसे समय, काल की परिस्थितियों, काव्य-गत विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग नाम दिए गए | जैसे-
वीरगाथा काल - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
आदिकाल - आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
चारण काल - डा. रामकुमार वर्मा
आरम्भिक काल - मिश्र बंधुओं
बीज-वपन काल - महावीर प्रसाद द्विवेदी
प्रारंभिक काल - डा. गणपति चन्द्र गुप्त
वीरगाथा काल - डॉ. विश्व नाथ प्रसाद मिश्र
अपभ्रंश काल - चन्द्रधर शर्मा गुलेरी आदि नामों से संबोधित किया है |
समय विभाजन
ग्रियर्सन और मिश्र बंधुओं ने आदि काल का समय (643 ईस्वी से 1389 ईस्वी ) तक माना है | आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने आदि काल का समय (993 ईस्वी से 1318 ईस्वी ) तक माना है | वह विभाजन ही कुछ हेर-फेर के साथ-साथ आज तक मान्य है |
मुख्यतः दसवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक का समय ही आदि काल का रहा है | उससे पूर्व हिंदी का अस्तित्व अपभ्रंश के रूप में तो मान सकते हैं, जो हिन्दी नही है |
हिन्दी के प्रथम कवि और उसकी कविता के ऊपर विद्वत जगत में बहुत मतभेद हैं | ठा. शिवसिंह सेंगर सातवीं सदी के 'पुष्य या पुंड' कवि को प्रथम कवि मानते हैं | डॉ. राहुल सांस्कृत्यायन ने सातवीं सदी के सिद्ध सरहपाद को प्रथम कवि स्वीकार किया| डॉ.गणपति चन्द्र गुप्त जैन कवि शालिभद्र सूरि को हिन्दी काआदिकवि मानते हैं |मुख्यतः दसवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक का समय ही आदि काल का रहा है | उससे पूर्व हिंदी का अस्तित्व अपभ्रंश के रूप में तो मान सकते हैं, जो हिन्दी नही है |
आदिकाल के प्रमुख कवि एवम् कविता
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने चन्दवरदायी को हिन्दी का प्रथम कवि तथा उनकी रचना 'पृथ्वीराज रासो' को हिन्दी का प्रथम महाकाव्य स्वीकार किया है |
आज भी अधिकतर विद्वान आचार्य शुक्ल के मत से सहमत हैं |
आदिकालीन कवि एवम् उनकी प्रमुख कृतियों का विवरण प्रस्तुत कर रहें हैं :
अब्दुर्रहमान : संदेश रासक
नरपति नाल्ह : बीसलदेव रासो (अपभ्रंश हिंदी)
चंदबरदायी : पृथ्वीराज रासो (डिंगल-पिंगल हिंदी)
कुशललाभ : ढोला मारू रा दूहा
अमीर खुसरो : खालिकबारी
दलपति विजय : खुमान रासो (राजस्थानी हिंदी)
जगनिक : परमाल रासो
शार्गंधर : हम्मीर रासो
नल्ह सिंह : विजयपाल रासो
जल्ह कवि : बुद्धि रासो
माधवदास चारण : राम रासो
देल्हण : गद्य सुकुमाल रासो
श्रीधर : रणमल छंद , पीरीछत रायसा
जिनधर्मसूरि : स्थूलिभद्र रास
गुलाब कवि : करहिया कौ रायसो
शालिभद्रसूरि : भरतेश्वर बाहुबलिरास
जोइन्दु : परमात्म प्रकाश
केदार : जयचंद प्रकाश
मधुकर कवि : जसमयंक चंद्रिका
स्वयंभू : पउम चरिउ
योगसार : सानयधम्म दोहा
हरप्रसाद शास्त्री : बौद्धगान और दोहा
धनपाल : भवियत्त कहा
लक्ष्मीधर : प्राकृत पैंगलम
अमीर खुसरो : किस्सा चाहा दरवेश, खालिक बारी
विद्यापति : कीर्तिलता, कीर्तिपताका, विद्यापति पदावली (मैथिली)
उक्त कवि और उनके रचनाएँ आदिकालीन काव्य में मानी जाती हैं |
इस प्रकार हिन्दी का आदिकाल काव्य की दृष्टि से बहुत ही वैविध्य लिए हुए है | यह समूचे हिन्दी काव्य-प्रासाद की सुदृढ़ नीव है | इसकी मूल प्रवृत्तियां ही विकसित होकर भक्ति, श्रंगार, वीर-भाव, आदि में प्रस्फुटित हुई और कबीर, सूर, तुलसी, भूषण, प्रसाद और निराला के महान राष्ट्रीय काव्य को स्वरूप मिला |
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