प्रकरण छन्द-2 में वर्णित कतिपय छंदों के अलावा हम अन्य कुछ महत्वपूर्ण छन्दों का अध्ययन इस प्रकरण में करेंगे |
गीतिका
यह एक मात्रिक छंद है। इसके चार चरण होते है। प्रत्येक चरण में 14 एवं 12 की यति से कुल 26 मात्राएं होती है। अन्त में क्रमश: लघु-गुरू होता है।उदाहरण-
S । S S S। S S=14 S । । । S S। S =12 (14+12=26)
हे प्रभो आनन्द दाता, ज्ञान हमको दीजिये |
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये।
लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें।|
हरिगीतिका
यह भी एक मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते है। इस छन्द के प्रत्येक चरण में 16 और 12 के विराम से कुल 28 मात्राएँ होती हैं-
उदाहरण-
। । S ।S S । S S S=16 S। । । S । । ।S=12 (16+12=28)
कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गये।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गये पंकज नये।।
बरवै छंद
बरवै छंद में भी दो-दो चरणों के दो दल होते हैं पर 12+7 की यति से 19 मात्राएं होती हैं, अर्थात इसके पहले और तीसरे चरण में 12-12 मात्राएं तथा दूसरे और चौथे चरण में 7-7 मात्राएं होती हैं। प्रत्येक दल के अंत में जगण (।S।) होता है।
उदाहरण
बाहर लैके दियवा वारन जाय।
S।। S S ।।S S।। S।
(पहला चरण =12 मात्राएं)
सासु ननद ढ़िग पहुंचत देत बुझाय ।। (दूसरा चरण =7 मात्राएं)
S । ।।। ।। ।।।। S। ।S।
(तीसरा चरण (12 मात्राएं) (दूसरा चरण (7 मात्राएं)
द्रुत बिलम्बित
यह एक वर्णिक समवृत्त छंद है | इसमें कुल 12 वर्ण होते हैं, जिनमें नगण, भगण, भगण ,रगण का क्रम रखा जाता है !उदाहरण
नगण भगण भगण रगण
। । । S । । S।। S ।S = 12
न जिसमें कुछ पौरुष हो यहाँ
सफलता वह पा सकता कहां ?
इन्द्रवज्रा
इन्द्रवज्रा भी एक वर्णिक समवृत्त छन्द है | इसके प्रत्येक चरण में वर्णों की संख्या 11 होती है,और प्रत्येक चरण में दो तगण ,एक जगण और दो गुरु वर्ण होते हैं ।उदाहरण
तगण तगण जगण गु.गु.
S S । S S ।। S। S S
होता उन्हें केवल धर्म प्यारा
सत्कर्म ही जीवन का सहारा ।
उपेन्द्रवज्रा
उपेन्द्रवज्रा भी एक वर्णिक समवृत्त छंद है ! इसमें वर्णों की संख्या प्रत्येक चरण में 11 होती है । गणों का क्रम जगण , तगण ,जगण और दो गुरु के क्रम से रहता है |उदाहरण
जगण तगण जगण गु.गु.
। S । S S। । S। S S
बिना विचारे जब काम होगा
कभी न अच्छा परिणाम होगा ।
मालिनी
यह भी एक वर्णिक समवृत्त छन्द है, इसमें 15 वर्ण होते हैं, 7 और 8 वर्णों के बाद यति होती है। गणों का क्रम नगण ,नगण, भगण ,यगण ,यगण होता है।उदाहरण
पल -पल जिसके मैं पन्थ को देखती थी ।
निशिदिन जिसके ही ध्यान में थी बिताती ॥
मन्दाक्रान्ता
मंदाक्रांता वर्णिक समवृत्त छंद में 17 वर्ण होते हैं, जो कि भगण, भगण, नगण ,तगण ,तगण और दो गुरु वर्ण के क्रम में होते हैं । यति 10 एवं 7 वर्णों पर होती है !उदाहरण
कोई पत्ता नवल तरु का पीत जो हो रहा हो ।
तो प्यारे के दृग युगल के सामने ला उसे ही ।
छप्पय
यह विषम मात्रिक छंद है | इसमें छ: चरण होते हैं - प्रथम चार चरण रोला के अंतिम दो चरण उल्लाला के | छप्पय में उल्लाला के सम -विषम चरणों का यह योग 15 + 13 = 28 मात्राओं वाला अधिक प्रचलित है |उदाहरण -
I S I S I I S I I I I S I I S I I S
जहां स्वतन्त्र विचार न बदलें मन में मुख में रोला की पंक्ति (ऐसे चार चरण )
सब भांति सुशासित हों जहां , समता के सुखकर नियम ।उल्लाला की पंक्ति (ऐसे दो चरण )
I I S I I S I I S I S I I S S I I I I I I I
सवैया
सवैया एक वर्णिक समवृत्त छंद है | इसके एक चरण में 22 से लेकर 26 तक वर्ण होते हैं |उदाहरण
सीस पगा न झगा तन पे प्रभु जाने को आहि बसे केहि ग्रामा ।
धोती फटी सी लटी दुपटी अरु पांव उपानह की नहिं सामा ॥
द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक रहयो चकिसो वसुधा अभिरामा ।
पूछत दीन दयाल को धाम बतावत आपन नाम सुदामा ॥
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