प्रगतिवादी काव्य

जिस प्रकार छायावाद द्विवेदीयुगीन स्थूलता के विरुद्ध सूक्ष्म का विद्रोह था, उसी प्रकार छायावादी सूक्ष्मता के विरुद्ध हिन्दी साहित्य में जो प्रतिक्रिया उठी, उसे प्रगतिवाद कहा जाता है | उस समय देश में चारोंओर स्वतंत्रता और परिवर्तन की कामना का ज्वार सा उठा हुआ था |

प्रगतिवाद का समय 

प्रगतिवाद का समय 1936 ईस्वी से 1943 ईस्वी तक माना जाता है | यूँ तो प्रगतिवाद की गूँज इससे काफी समय पहले से काव्य में मिलती हैं, किन्तु उक्त समय ही प्रगतिवाद से सम्बंधित अधिक रचनाओं का रहा |

प्रगतिवाद के प्रमुख कवि 

1. नागार्जुन 

नागार्जुन का प्रगतिवादी काव्य के साथ अभिन्न सम्बन्ध है | नागार्जुन का जन्म सन् 1911 ईस्वी में बिहार के तरउनी गाँव में हुआ | ये बचपन से ही विद्रोही प्रवृति के थे | इनका बचपन का नाम वैद्यनाथ मिश्र था | इन्होने यात्री नाम से भी कविता लिखी |
इनकी प्रसिद्ध काव्य रचनाएँ युगधारा, प्यासी पथराई आँखें, तुमने कहा था, सतरंगे पंखों वाला, भस्मासुर आदि हैं |

2. शिवमंगल सिंह सुमन 

शिवमंगल सिंह 'सुमन' का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उनानो जिले के झगेरपुर में हुआ था। सुमन जी ने मार्क्सवाद से प्रभावित होकर कविता लिखी | सुमन जी की जीवन के गान, प्रलय-सृजन व हिल्लोल आदि काव्य संग्रह हैं |

3. केदारनाथ अग्रवाल 

अग्रवाल जी का जन्म 1911 ईस्वी में बांदा उत्तरप्रदेश में हुआ | उनके चार प्रमुख काव्य संकलन हैं, जिनमें प्रगतिवाद का स्वर प्रखर हुआ है | वे हैं नीर के बादल, फूल नहीं रंग बोलते हैं, युग की गंगा और लोक और अलोक हैं |

4. रांगेय राघव  

इनका जन्म राजस्थान के बरोली में 1923 ईस्वी में हुआ | इनके प्रमुख काव्य संग्रह अजेय खंडहर, मेधावी और पांचाली हैं |
उक्त कवियों के अलावा त्रिलोचन, नरेश मेहता, रामविलास शर्मा और शमशेर सिंह आदि प्रगतिवादी धारा के कवि माने जाते हैं |

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