छायावाद
आधुनिक काल की द्विवेदी युगीन काव्य प्रवृति के पश्चात् जो मुख्य काव्यधारा प्रवाहित हुई, उसे छायावाद की संज्ञा दी जाती है | इस काव्य प्रवृति की रचनाएँ 1918 ईस्वी के आस-पास प्रकाशित होने लगी थी | इसलिए विद्वानों ने छायावाद की समय सीमा 1918 से 1938 ईस्वी तक मानी है |छायावाद के प्रमुख कवि
1. जयशंकर प्रसाद (1889 से 1937 ईस्वी)
जयशंकर प्रसाद का जन्म काशी के प्रतिष्ठित व्यापारी सुंघनी साहु परिवार में हुआ | आरम्भ में इन्होने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखी | इनके द्वारा रचित आँसू, कानन-कुसुम, महाराणा प्रताप का महत्त्व, चित्राधार, झरना, लहर और कामायनी प्रमुख हैं |
2. सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (1899 से 1961ईस्वी )
निराला जी का जन्म बंगाल के महिषादल में हुआ | कलकत्ता से उन्होंने "मतवाला" पत्रिका सम्पादित की | निराला जी ओज, उद्दात्तता और विद्रोह के कवि हैं | उनकी प्रमुख रचनाएँ राम की शक्तिपूजा, तुलसीदास, सरोज स्मृति, अनामिका, परिमल, गीतिका, अपरा, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला और नये पत्ते आदि हैं | उनके राम की शक्तिपूजा, तुलसीदास और सरोज स्मृति छायावादी काव्य प्रवृति के गौरव ग्रन्थ हैं |
3. सुमित्रानंदन पन्त (1900 से 1977 ईस्वी)
इनका जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था | प्रकृति की सुषमा ने उन्हें बचपन से ही आकृष्ट कर लिया | उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि भी कहा जाता है | पन्त जी की प्रमुख रचनाएँ उच्छ्वास,पल्लव, वीणा, ग्रंथि, गुंजन, युगान्त, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्णधूलि,स्वर्णकिरण, रश्मिबन्ध और लोकायतन आदि हैं |
4. महादेवी वर्मा (1907 से 1987ईस्वी )
महादेवी जी का जन्म फर्रूखाबाद उत्तरप्रदेश में हुआ | प्रारम्भ में उन्होंने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखी | उनकी कविताओं में करुणा और दुःख की विविध स्थितियों का आकर्षक वर्णन मिलता है | विरह, वेदना, करुणा और आरति का मार्मिक चित्रण करने के कारण उन्हें आधुनिक युग की "मीरा" कहा जाता है |
महादेवी जी की प्रमुख काव्य-रचनाएँ नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत और यामा आदि हैं |
महादेवी जी की प्रमुख काव्य-रचनाएँ नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत और यामा आदि हैं |
5. रामकुमार वर्मा (जन्म 1905 ईस्वी)
वर्मा जी द्वारा लिखित रूपरश्मि, चित्रलेखा, निशीथ, आकाशगंगा आदि रचनाओं में छायावाद की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है |
उक्तकवियों के अलावा जानकी वल्लभ शास्त्री, उदयशंकर भट्ट, आर.सी.प्रसाद सिंह, केदारनाथ मिश्र प्रमुख छायावादी कवि हैं , जिनका काव्य जगत को योगदान महत्वपूर्ण है |
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